जबलपुर में नलों से आ रहा गंदा पानी, विधायक घनघोरिया ने विधानसभा में उठाया मुद्दा

जबलपुर| जबलपुर में नलों से मटमैला और गंदा पानी आने की शिकायतें अब विधानसभा तक पहुंच गई हैं। शुक्रवार को जबलपुर पूर्व के कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया ने विधानसभा में यह मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया और भौंगाद्वार जलशोधन संयंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए। विधायक ने आरोप लगाया कि शुद्ध पेयजल की सप्लाई के नाम पर लोगों को गंदगी से भरा पानी दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्लांट पर केमिकल मिलाने का काम प्रशिक्षित व्यक्ति की बजाय एक चौकीदार कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि एक बार सफाई के दौरान वहां मरा हुआ बंदर तक मिला था। विधायक ने बताया कि शहर में पांच जलशोधन संयंत्र और 63 जल टंकियां हैं, फिर भी जबलपुर के 12 वार्डों में पेयजल संकट बना हुआ है, जिनमें से 9 वार्ड उनके क्षेत्र से आते हैं। उन्होंने कहा कि “हम नर्मदा के किनारे बसे हैं, फिर भी साफ पानी के लिए तरस रहे हैं। उन्होंने अमृत योजना के तहत बनाई जा रही टंकियों के काम में भी भेदभाव का आरोप लगाया। मेरे क्षेत्र की 4 टंकियों का काम अब तक शुरू ही नहीं हुआ है, उन्होंने कहा। विधायक ने यह भी बताया कि नगर निगम के पास पूरे शहर के लिए सिर्फ 26 जल टैंकर हैं और पाइपलाइन लीकेज होने पर मरम्मत में कई दिन लग जाते हैं।

नगरीय विकास मंत्री ने दिया जवाब

सरकार की ओर से जवाब देते हुए नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि अमृत योजना के तहत 312 करोड़ की परियोजना पर काम चल रहा है और आने वाले दो साल में जल संकट खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सफाई पर हर साल 23 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं और प्लांट से दूषित पानी नहीं दिया जा रहा।
हालांकि विधायक द्वारा लगाए गए मरे जानवर, गंदगी और बिना केमिस्ट के केमिकल मिलाने जैसे आरोपों का सीधा जवाब मंत्री ने नहीं दिया।
विधायक ने जनता के हित में जल आपूर्ति की उच्च स्तरीय जांच, नई टंकियों के निर्माण में तेजी और प्रशिक्षित केमिस्ट की नियुक्ति की मांग की है।

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