“पायजामा बना दिया पर नाड़ा नहीं लगाया”, अनुपूरक बजट कर्ज़ का दस्तावेज, कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया का सरकार पर प्रहार


जबलपुर। विधानसभा में द्वितीय अनुपूरक बजट पर चर्चा के दौरान जबलपुर पूर्व के विधायक लखन घनघोरिया ने सरकार पर कठोर प्रहार करते हुए कहा कि प्रस्तुत अनुपूरक बजट विकास का दस्तावेज नहीं, बल्कि कर्ज़ का बोझ है, जिसे प्रदेश के प्रत्येक नागरिक के माथे पर लादा जा रहा है। उन्होंने कहा कि आम बजट से लेकर अनुपूरक अनुमानों तक सरकार अधोसंरचना के नाम पर भारी निवेश का दावा करती है, लेकिन इस निवेश का वास्तविक लाभ जनता को नहीं मिल रहा है।


उन्होंने विशेष रूप से जबलपुर के अधोसंरचना कार्यों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि 465 कार्यों की सूची में भी जबलपुर की उपेक्षा साफ दिखाई देती है। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष के विधायकों के क्षेत्रों के फ्लाईओवर कार्य भी लंबित हैं, तो विपक्ष के क्षेत्र की उपेक्षा स्वाभाविक है। उन्होंने मांग की कि अतिदीर्घकाल से लंबित जबलपुर हाई कोर्ट – अब्दुल हमीद चौक – बिरसा मुंडा चौराहा फ्लाईओवर को तत्काल स्वीकृति एवं बजट प्रदान किया जाए।


श्री घनघोरिया ने यह भी कहा कि शहर में बने बड़े फ्लाईओवर के बाद जिस छोटी पुलिया पर ट्रैफिक लैंड होता है, उसे सुधारने के बिना पूरा प्रोजेक्ट “पायजामा बना दिया पर नाड़ा नहीं लगाया” जैसा साबित हुआ है। उसके कारण रोज़ाना 3–4 घंटे तक जाम की स्थिति बनती है।


पीडब्ल्यूडी की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि बैतूल और रायसेन के पुलों का गिरना, तथा जबलपुर–नागपुर हाईवे पर 5 करोड़ रुपये का डामर सिर्फ छह महीनों में उखड़ जाना अधोसंरचना की बदहाली का स्पष्ट प्रमाण है।


शिक्षा प्रणाली को लेकर घनघोरिया ने गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि 26 हजार स्कूल बिना प्रिंसिपल के संचालित हो रहे हैं, 14 हजार स्कूलों में शिक्षक ही नहीं हैं, और स्कूल शिक्षा में एकेडमिक सिस्टम लगभग चरमराता हुआ दिखाई देता है।


उच्च शिक्षा पर बोलते हुए उन्होंने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में बिना आधारभूत सुविधाओं के बी.टेक एवं कृषि विषयों की शुरुआत को गंभीर त्रुटि बताया। उन्होंने कहा कि बिना लैब, बिना संसाधन, बिना प्रवेश परीक्षा के इस तरह तकनीकी शिक्षा शुरू करना विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी शिक्षा के लिए पहले से ही राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मौजूद है, ऐसे में विश्वविद्यालयों की भूमिकाओं के साथ अनैतिक छेड़छाड़ हो रही है। उन्होंने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में कुलगुरु के रूप में एक अयोग्य व्यक्ति की नियुक्त करने को लेकर कटाक्ष भी किया।


इसके साथ उन्होंने अकादमिक पदस्थापनाओं में अव्यवस्था, कुलपतियों की नियुक्तियों में योग्यता के मानकों की अनदेखी, तथा नर्सिंग कॉलेजों को मेडिकल यूनिवर्सिटी से हटाकर रादुविवि में स्थानांतरित करने जैसे निर्णयों पर आपत्ति जताई और कहा कि यह “ज्ञान अर्जन की संस्थाओं को धन अर्जन की व्यवस्था” में बदलने का प्रयास है।

स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की कमी………….

स्वास्थ्य सेवाओं पर बोलते हुए श्री घनघोरिया ने कहा कि प्रदेश में 800 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डॉक्टरों के बिना संचालित हो रहे हैं, जबकि कुल मिलाकर 3 हजार डॉक्टरों की भारी कमी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार हर वर्ष लगभग 25 हजार करोड़ रुपये सिर्फ ब्याज में दे रही है, और यदि यही राशि स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश की जाए तो कई नए मेडिकल कॉलेज खुल सकते हैं और हजारों डॉक्टर नियुक्त किए जा सकते हैं।

बढ़ता जा रहा कर्ज का बोझ………..

उन्होंने कहा कि यदि वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता नहीं आई और कर्ज़ का अनियंत्रित बोझ बढ़ता रहा तो प्रदेश “कर्ज़ पे कर्ज़” की स्थिति से बाहर नहीं निकल पाएगा। उन्होंने प्रसिद्ध फिल्म मदर इंडिया का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार “लाला कन्हैयालाल” की तरह कर्ज़ पर निर्भर होकर जनता को निरंतर बोझ तले दबा रही है।

जबलपुर की उपेक्षा …………..

अंत में, उन्होंने वित्त मंत्री से आग्रह किया कि जबलपुर शहर के पूर्व और उत्तर हिस्सों की लगातार उपेक्षा समाप्त की जाए और अधोसंरचना, शिक्षा एवं स्वास्थ्य से जुड़े लंबित कार्यों को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि जबलपुर एक बड़ा शहर है और इसके साथ पक्षपातपूर्ण रवैया बंद होना चाहिए।