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निजी विक्रय केंद्रों से अधिकारियों की मौजूदगी में उर्वरक वितरण, व्यवस्था का कृषि अधिकारियों ने किया निरीक्षण

जबलपुर। किसानों को निर्धारित दर पर उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के कलेक्टर राघवेंद्र सिंह के निर्देशानुसार प्रत्येक निजी विक्रेता के प्रतिष्ठान से अधिकारियों की देखरेख में उर्वरक वितरण कराने की व्यवस्था सोमवार से जिले में लागू हो गई है।


अधिकारियों की मौजूदगी में ही किसानों को उर्वरक का वितरण कराने की इस व्यवस्था का कृषि अधिकारियों ने आज पाटन क्षेत्र के कई निजी विक्रय केंद्रों पर जाकर निरीक्षण भी किया। इनमें राहुल कृषि केंद्र पाटन, गणेश फर्टिलाईजर पाटन, अंकित एग्रो पाटन एवं श्रीराम फर्टिलाईजर पाटन शामिल थे।


अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ इंदिरा त्रिपाठी और वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी पंकज श्रीवास्तव द्वारा किये गये निरीक्षण के दौरान इन निजी उर्वरक विक्रय केंद्रों पर तैनात किये गये अधिकारी उपस्थित मिले। निरीक्षण करने पहुँचे अधिकारियों ने भी अपने सामने किसानों को खाद का वितरण कराया।


निरीक्षण के दौरान कुछ किसानों द्वारा कृषि अधिकारियों से शिकायत की गई कि जिले से जो सूची कृषक व्हाट्सएप ग्रुप में प्राप्त हुई है, उसके अनुसार कुछ कृषि केंद्रों में डीएपी की उपलब्धता दिख रही है, परंतु जब किसान उन कृषि केंद्रों में जा रहे हैं तब किसानों को डीएपी के स्थान पर टीएससी दी जा रही है।


अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन ने किसानों को उनकी इस शंका का निराकरण करते हुए बताया कि डीएपी 18:46 एवं टीएसपी 00:46 पोर्टल में प्राप्त लिस्ट में सिर्फ डीएपी के नाम से ही दिखती है। वो इसलिये क्योंकि दोनों ही उर्वरकों का कार्य लगभग एक ही है।


अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन ने किसानों को बताया कि यदि टीएसपी में 20 किलो यूरिया मिला दिया जाये तो वह डीएपी जैसा ही काम करती है। किसान इसे लेकर बिल्कुल परेशान ना हो, यदि उन्हें टीएसपी मिल रही है तो उसका उपयोग भी करें। इससे उत्पादन में कोई कमी नहीं आती है।


निरीक्षण के दौरान कृषि अधिकारियों ने किसानों से आग्रह किया कि निजी विक्रेताओं से खाद वितरण में उन्हें यदि किसी प्रकार की समस्या आती है तो तत्काल कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क करें, ताकि त्वरित कार्यवाही कर उनकी समस्या का समाधान हो सके।


अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ त्रिपाठी ने डीलर्स को प्रतिदिन की खाद की उपलब्धता को सूचना पटल पर प्रदर्शित करने के निर्देश भी दिये, ताकि किसानों को खाद की जानकारी तुरंत मिल सके।

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