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स्व-रोजगार योजनाओं में सब्सिडी का प्रावधान करने मंत्री से मिला डिक्की का प्रतिनिधिमंडल

भोपाल। दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डिक्की) का एक प्रतिनिधिमंडल आज डिक्की अध्यक्ष डॉ. अनिल सिरवैया के नेतृत्व में अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री श्री नागर सिंह चौहान से मंत्रालय में मिला। प्रतिनिधिमंडल ने अनुसूचित जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित संत रविदास स्व रोजगार योजना तथा भीमराव अंबेडकर आर्थिक कल्याण प्रदेश योजनाओं एवं भंडार क्रय नियमों में एससी-एसटी उद्यमियों को अपेक्षित लाभ नहीं मिलने की ओर मंत्री का ध्यान आकर्षित किया।
डॉ सिरवैया ने मंत्री श्री नागर को बताया कि राज्य सरकार की इन दोनों स्व-रोजगार योजनाओं में एससी-एसटी वर्ग के युवाओं और उद्यमियों के लिए सब्सिडी का कोई प्रावधान नहीं है। साथ ही, भंडार क्रय नियमों में अब तक एससी-एसटी उद्यमियों हेतु उत्पाद और सेवाओं का आरक्षण भी नहीं किया गया है। उन्होंने मांग की कि
संत रविदास स्व-रोजगार योजना में 35% मार्जिन मनी सहायता का प्रावधान किया जाए। सेवा एवं विनिर्माण क्षेत्र हेतु ऋण सीमा 1 करोड़ रुपये तथा ट्रेडिंग हेतु 50 लाख रुपये निर्धारित की जाए। भीमराव आंबेडकर स्व-रोजगार योजना में भी 35% मार्जिन मनी सहायता का प्रावधान हो। भंडार क्रय नियमों में एससी-एसटी उद्यमियों हेतु क्रय प्राथमिकता 4% से बढ़ाकर 30% की जाए प्राथमिकता का लाभ सुनिश्चित करने के लिए सेवाओं एवं उत्पादों को शीघ्र आरक्षित किया जाए। भंडार क्रय नियमों का पालन सभी विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों, मंडलों, कंपनियों एवं अनुदान प्राप्त संस्थाओं में अनिवार्य किया जाए। एससी-एसटी उद्यमियों को अनुभव, ईएमडी और बैंक गारंटी से छूट मिले। नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु त्रैमासिक समीक्षा एवं निगरानी समिति गठित की जाए। प्रतिनिधिमंडल में डिक्की के वरिष्ठ सदस्य श्री मदनलाल खटीक, श्री नरेश चौधरी, श्री पंकज पाटिल, डॉ राजीव तथा डॉ मोनिका शामिल थे।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश वर्ष 2025 को “उद्योग वर्ष” के रूप में मना रहा है, किंतु प्रदेश की लगभग 38% एससी-एसटी आबादी को इस अभियान से अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है। मुख्यमंत्री जी की स्पष्ट भावना है कि प्रदेश का प्रत्येक नागरिक विकास की मुख्यधारा से जुड़े और समान अवसर पाए।
डिक्की ने मांग की कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग में रोजगार सृजन, स्व-रोजगार और उद्यमिता विकास हेतु शीघ्र ही संबंधित विभागों के मंत्रियों, प्रमुख सचिवों और वरिष्ठ अधिकारियों की संयुक्त बैठक आयोजित की जाए, जिससे ठोस निर्णय लिए जा सकें।

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