सहारा समूह संपत्ति बिक्री में वित्तीय अनियमितता

जबलपुर, कटनी से जुड़े मामलों में ईओडब्ल्यू ने की एफआईआर

जबलपुर। सहारा समूह द्वारा निवेशकों की राशि में की गई बड़ी वित्तीय अनियमितताओं का पर्दाफाश हुआ है। राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) द्वारा की गई विस्तृत जांच में जबलपुर ज़िले से जुड़ी गम्भीर गड़बड़ियां सामने आई हैं। समूह द्वारा जबलपुर में लगभग 99.44 एकड़ भूमि का विक्रय 20.60 करोड़ में किया गया था, जिसमें से 17.07 करोड़ की राशि तो सेबी सहारा रिफंड खाते में जमा कर दी गई, लेकिन शेष 3.53 करोड़ की राशि अवैध रूप से अन्य मदों में खर्च कर दी गई।
ईओडब्लयू के डीजी उपेंद्र जैन ने बताया कि
ईओडब्लयू की जांच में सामने आया है कि जबलपुर और कटनी दोनों ही जिलों में भूमि विकास व्यय, कस्टमर लायबिलिटी, और विविध शासकीय कर जैसे संदिग्ध मदों के नाम पर कुल 9.06 करोड़ की कटौतियाँ की गईं, जिनमें जबलपुर का हिस्सा 3.53 करोड़ बताया गया है। जांच में सामने आया है कि इन व्ययों में से कई फर्जी या अनौचित्यपूर्ण हैं, जैसे कि ‘अखिलेश रियलिटी’ और अन्य अस्पष्ट खर्चे।
अब तक की जांच में सहारा समूह के वरिष्ठ अधिकारी सीधे तौर पर शामिल पाए गए हैं। सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय के पुत्र सीमांतो रॉय को जबलपुर और कटनी की भूमि बिक्री के फैसलों में मुख्य भूमिका निभाते हुए पाया गया। उनके साथ-साथ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों जे.बी. रॉय और ओ.पी. श्रीवास्तव पर भी आरोप लगे हैं।
ईओडब्लयू ने प्रारंभिक जांच में पाया कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद सहारा समूह द्वारा संपत्ति विक्रय से प्राप्त राशि को सीधे सेबी खाते में जमा नहीं किया गया, बल्कि उसे अपनी सहायक कंपनियों और कोऑपरेटिव सोसाइटीज़ के खातों में ट्रांसफर कर लिया गया।
जांच में यह भी उजागर हुआ कि विक्रय प्रक्रिया में उपयोग किए गए प्रतिनिधि भी सिर्फ दिखावे के लिए नियुक्त किए गए थे, और वे वास्तव में सहारा समूह के कर्मचारी ही थे। इनकी नियुक्ति बोर्ड मीटिंग या वैधानिक प्रक्रिया के तहत नहीं की गई थी।
जबलपुर के अलावा भोपाल, सागर, कटनी और ग्वालियर से जुड़ी संपत्तियों की बिक्री में भी भारी अनियमितताएं पाई गई हैं, जिससे कुल मिलाकर 72.82 करोड़ की राशि का दुरुपयोग किया गया।
इन तथ्यों और सबूतों के आधार पर, ईओडब्लयू ने आरोपियों, मेसर्स सहारा इंडिया, सहारा प्राईम सिटी लिमिटेड कंपनी, सीमांतो रॉय, जे.बी. रॉय, ओ.पी. श्रीवास्तव एवं अन्य अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना प्रारंभ की है।