जबलपुर। भाई बहिन के पवित्र रिश्तों का पर्व रक्षाबंधन शनिवार 9 अगस्त को परंपरागत तरीके से मनाया जा रहा है। पंडितों का कहना है कि इस साल सूर्योदय के साथ ही दिनभर रक्षाबंधन का शुभ मुर्हूत है। आज बहनें अपने भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र बांधकर उनके दीर्घायु होने की कामना करेंगी और भाई हर विपदा के वक्त अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देंगे। सदियों से भाई-बहन के अटूट रिश्तों का यह पर्व सनातनी धर्मावलंबियों के अलावा अन्य संप्रदाय के लोग भी मनाते आ रहे है। विगत कुछ वर्षों से महंगाई ने हर्षोल्लास और उमंग में जरूर कमी ला दी है। लेकिन पर्व की औपचारिकताओ और परंपराओं का निर्वाह व दस्तूर किया जा रहा है। इस वर्ष तो मंहगाई ने रिकार्ड ही तोड़कर रख दिया। राखी रूमाल से लेकर मीठा नमकीन और खेल खिलौने के दाम आसमान छू रहे है। आम आदमी के बस में अब त्यौहार के खर्च उठाने की हैसियत नहीं रही। इसलिए लोगों में उत्साह और उमंग की कमी आई है। औपचारिकता का निर्वाह जरूर किया जाता है।
रक्षाबंधन के पर्व को लेकर पौराणिक ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है। द्वापर युग में महाभारत के पूर्व भगवान श्रीकृष्ण के हाथ में चोट आने पर द्रोपदी में अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनके हाथ में बांधा था तब भगवान ने उन्हें उनकी रक्षा का वचन दिया था। द्रुतक्रीड़ा में पांडव जब द्रोपदी को दांव पर लगाकर हार गये तब दुस्साशन द्वारा द्रोपदी का वस्त्रहरण किया जा रहा था तब द्रोपदी ने भगवान श्री कृष्ण को याद किया और उन्होंने द्रोपदी को दिया अपना वचन निभाकर उनकी रक्षा की। वही परंपरा आज भी निर्वाध रूप से जारी है। रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती है और कलाई में रक्षा सूत्र बांधकर उनके दीर्घायु होने की कामना करती है। भाई बहनों को उपहार देकर उनकी रक्षा का वचन देते है।
दिनभर शुभ मुर्हूत……….
ज्योतिषाचार्य पीएल गौतामाचार्य का कहना है कि पूर्णिमा व्रत अपने आप में पूर्ण है। रक्षाबंधन श्रावणी उपक्रम है। अत: सुबह सूर्योदय के साथ ही शुभ मुर्हूत शुरु हो जाएगा जो पूरे दिन और रात शुभ रहेगा।