एनआरसी की आशंका पर जबलपुर मुस्लिम समाज में चिंता  मुफ्ती ए आज़म का पत्र सोशल मीडिया पर वायरल, दस्तावेजों को लेकर किया  अलर्ट  

जबलपुर ।  बिहार में हाल ही में शुरू हुए मतदाता सूची शुद्धिकरण अभियान ने मुस्लिम समाज में गहरी चिंता पैदा कर दी है। इसी पृष्ठभूमि में मध्यप्रदेश के मुफ्ती ए आज़म डॉ. मौलाना मुसाहिद रज़ा ने मुस्लिम समुदाय के नाम एक पत्र जारी किया है, जिसमें देश की नागरिकता साबित करने वाले सभी दस्तावेज़ों को जल्द से जल्द तैयार रखने की अपील की गई है। यह पत्र 16 जुलाई को जारी हुआ बताया जा रहा है और सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। मौलाना मुसाहिद रज़ा ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि देश में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर,  नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को लेकर सरकार की गंभीरता बढ़ती जा रही है। संभावना ऐसे में किसी भी वक्त मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में भी इस तरह की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।

काल करे सो आज करे…

पत्र में मौलाना ने खासतौर पर मुस्लिम मर्दों और औरतों से अपील की है कि वे नागरिकता संबंधी सभी आवश्यक दस्तावेज़ समय रहते ठीक करवा लें और उनमें नाम, जन्मतिथि तथा अन्य जानकारियों की एकरूपता सुनिश्चित करें। उन्होंने इसे धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदारी करार देते हुए लापरवाही को आने वाली पीढ़ियों के लिए नुकसानदेह बताया।

इन दस्तावेज़ों को बताया गया जरूरी…..

पत्र में जिन दस्तावेजों को अनिवार्य बताया गया है, उनमें जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट, आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी (मतदाता पहचान पत्र), राशन कार्ड, पासपोर्ट, बैंक पासबुक, बिजली का बिल शामिल हैं. निम्न दस्तावेज़ों को भी जल्द तैयार करवाने की सलाह दी गई है, निकाहनामा (विवाह प्रमाण पत्र), मूल निवासी प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र , ओबीसी प्रमाण पत्र, मृत्युप्रमाण पत्र (माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी के लिए), साथ ही निजी संपत्ति से जुड़े सभी जरूरी कागजात भी तैयार करने की सलाह मुफ्ती ए आजम ने दी है.

समाज में बढ़ रही बेचैनी……..

पत्र के वायरल होने के बाद मुस्लिम समुदाय के बीच चर्चा का दौर तेज़ हो गया है। कई स्थानों पर लोगों ने दस्तावेजों की जांच और सुधार शुरू भी कर दिया है। सामाजिक कार्यकर्ता इस पत्र को एक “जागरूकता संदेश” मान रहे हैं, वहीं कुछ लोगों में सरकारी नीयत को लेकर आशंका भी देखी जा रही है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया अभी शेष ……

फिलहाल प्रशासन या राज्य सरकार की ओर से इस पत्र या दस्तावेज़ों को लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि सामाजिक संगठनों का मानना है कि यह एक सतर्कता भरा कदम है और लोगों को समय रहते कानूनी दस्तावेज़ों की स्थिति स्पष्ट रखनी चाहिए।