गौशाला में लंपी वायरस से आठ गायों की मौत  

जबलपुर ।   नगर निगम की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। रामपुर चौकी अंतर्गत मांडवा बस्ती स्थित निगम गौशाला में गुरुवार सुबह कई गायों की मौत से हड़कंप मच गया। बताया जा रहा है कि गौशाला में करीब आठ गायें मृत अवस्था में मिलीं, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से बीमार हैं। मृत गायों के शव कई दिनों से वहीं पड़े सड़ रहे थे, जिससे पूरी गौशाला और आस-पास के क्षेत्र में तेज दुर्गंध फैल गई। स्थानीय लोगों को जब इसकी जानकारी मिली तो वे मौके पर पहुंचे और हंगामा शुरू कर दिया।

जानकारी के अनुसार, गुरुवार सुबह ग्रामीणों को गौशाला से दुर्गंध आने पर शक हुआ। जब उन्होंने अंदर जाकर देखा तो वहां मृत गायों के शव पड़े थे। यह दृश्य देखकर लोग आक्रोशित हो उठे और नगर निगम प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। मौके पर पुलिस बल और निगम अधिकारी पहुंचे और स्थिति को संभालने का प्रयास किया।

गौशाला के ठेकेदार ने बताया कि सभी मृत गायें लंपी स्किन डिज़ीज़  से ग्रसित थीं। ठेकेदार के अनुसार, पिछले तीन-चार दिनों से नगर निगम का स्वास्थ्य विभाग मृत मवेशियों को उठाने नहीं आ रहा था। शव उठाने की जिम्मेदारी निगम की होती है, लेकिन कर्मचारियों की उदासीनता के कारण शव वहीं पड़े रहे, जिससे बीमारी फैलने का खतरा और बढ़ गया।

स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया कि नगर निगम और गौशाला प्रबंधन दोनों ही पूरी तरह से लापरवाह हैं। उनके अनुसार, गायों के लिए न तो पर्याप्त चारे की व्यवस्था है और न ही बीमार पशुओं के इलाज की कोई स्थायी सुविधा। कई गायें लंबे समय से बीमार हैं, लेकिन उनकी ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा। लोगों ने कहा कि यदि समय पर चिकित्सा और साफ-सफाई की व्यवस्था होती तो इतनी मौतें नहीं होतीं।

गौ सेवकों और क्षेत्रीय नागरिकों ने इस घटना को मानवता के प्रति अपराध  बताया और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि नगर निगम को तत्काल मृत गायों का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण कराना चाहिए, ताकि संक्रमण का खतरा न बढ़े। साथ ही बीमार पशुओं के इलाज के लिए पशु चिकित्सा टीम की स्थायी तैनाती की जाए।

विशेषज्ञों के अनुसार, लंपी स्किन डिज़ीज़  एक संक्रामक वायरल रोग है जो मुख्यतः गोवंशीय पशुओं को प्रभावित करता है। यह मच्छरों, मक्खियों और टिक्स   जैसे कीटों के काटने से फैलता है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, शरीर पर गांठें, त्वचा पर घाव, भूख में कमी और दूध उत्पादन में गिरावट शामिल हैं। यदि समय पर इलाज न मिले तो यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है।

उधर, प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है। नगर निगम ने पशु चिकित्सा दल को मौके पर भेजा है और मृत गायों के निस्तारण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हालांकि, क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि यदि नगर निगम ने पहले ही सतर्कता बरती होती, तो गौशाला में इतनी बड़ी संख्या में गायों की मौत नहीं होती।

स्थानीय नागरिकों ने चेतावनी दी है कि यदि जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो वे नगर निगम कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करेंगे।