भटक रहे हैँ अन्नदाता, कोई सुनने वाला नहीं …

खाद वितरण एवं मूंग खरीद व्यवस्था चरमराई

जबलपुर खाद की काला बाजारी व वितरण में भारी अनियमित्तओ तथा भ्रस्टाचार के शिकार अन्नदाता टोकन लेने के बाद भी सुबह चार बजे से कतर में लगकर शाम को थक हार कर, मायूस होकर, खाली हाँथ घर लौटेने मजबूर हैँ । जिले में वितरण व्यवस्था चरमरा  गई है। पूर्ण रूप से ध्वस्त हो गई है।
लगभग सभी केंद्रों से जानकारियां मिल रही हैँ की खाद केवल बड़े व प्रभावशील किसानों, दबंगों एवं नेताओ के चहतों को ही मिल पा रही है, चींह चींह कर खाद दी जा रही है। खास किसान के लिए नियम अलग और आम किसान के लिए नियम अलग।

छोटे व आम किसान दर भटक रहे हैँ, उनकी व्यथा कोई सुनने वाला नहीं है। …

यही हाल मूंग एवं उड़द उपार्जन का है। प्रभावशील बड़े और पहुँच वाले किसानों का मिट्टी कूड़ा मिला उत्पाद भी पास होकर अंदर हो रहा है और  आम किसान भटक रहे हैँ।..
अधिकारियों ने अपने आँख कान बंद कर रखे हैँ। पीछे के दरवाजे से व रात के अंधेरे में काला खेल चल रहा है, जो अधिकारियों की मिली भगत के बिना संभव नहीं है। प्रशासन द्वारा जाँच और कार्यवाही का केवल दिखावा व नाटक किया जा रहा है।  सब काली कमाई में भागीदार है, किसानों का शोषण कर कमाई करने में लगे हैँ।  किसान बेबस है। खेती बाड़ी का काम छोड़कर संघर्ष करने मजबूर हैँ।

लेट खरीद शुरु होने से वैसे भी अधिकांश किसान मंडियों मे व्यापारियों को अपना उत्पाद ओने पौनें दाम में बेच चुके हैँ। अब व्यापारियों का माल किसानों के नाम पर, मोटे कमीशन पर खरीद केंद्रों मे खपाया जा रहा है। जिनके पास थोड़ा बहुत माल बचा है,जो असली किसान अपना माल बेचना चाहते हैँ  वे  शोषण का शिकार हो रहे हैँ।… 
भारत कृषक समाज महकौशल म. प्र. के अध्यक्ष के इंजी. के के अग्रवाल ने किसानों की वास्तविक मैंदानी स्थिति से कलेक्टर एवं वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराते हुए व्यवस्थायें सूचारु करने कड़े कदम उठाने व खाद वितरण व मूंग उपार्जन में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों  पर कड़ी कार्यवाही की मांग की है। तथा कहा है किसानों के धैर्य की परीक्षा न ली जाये अन्यथा उनका असंतोष शासन- प्रशासन को मंहगा पड़ेगा। अन्नदाता की बद्दुआएं कहीं का नहीं छोड़ेगी। …
किसानों से अपील की गई है की वे अपने शोषण के विरोध एवं अपने हितों व हकों की रक्षा के लिए एक होकर अपनी आवाज बुलंद करने आगे आएं।