ईडब्ल्यूएस को सामान्य की जगह कुल सीटो का 10 प्रतिशत आरक्षण देने को चुनौती, हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर राज्य सरकार से जवाब मांगा


जबलपुर| स्टेट नीट यूजी काउंसलिंग 2025 में आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को 10 प्रतिशत आरक्षण के लिए तय किए गए नियम संशोधन को चुनौती देने वाली एक याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा एवं न्यायाधीश विनय सराफ की युगलपीठ ने सरकार से जवाब तलब कर लिया है|

मामलें की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को नियत की गई है| भोपाल निवासी जिया जैन, आकांक्षा व अन्य की ओर से दायर की गई याचिका में अधिवक्ता सचिन जैन ने न्यायालय को बताया कि माननीय मप्र हाईकोर्ट की एकल पीठ ने पिछले साल दिए आदेश में स्पष्ट किया था कि ईडब्ल्यूएस कोटा सिर्फ अनारक्षित (सामान्य) सीटो से निकाला जाना चाहिए ना कि कुल सीटो से। दरअसल कुल सीटो से ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण को तय किए जाने से सामान्य सीटो की संख्या और घट रही है, चूंकि एसटी, एससी और ओबीसी वर्ग को पहले से ही चिकित्सा शिक्षा और नौकरी में आरक्षण मिल रहा है|

ऐसे में आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के भी सभी वर्गों को मिलाकर 10 प्रतिशत आरक्षण देने से सामान्य वर्ग का अहित हो रहा है| जो संविधान के अनुच्छेद 15(6) के विपरीत होने के कारण अंसवैधानिक है| मामलें की प्रारंभिक सुनवाई होने के बाद न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 8 अक्टूबर तक जवाब पेश करने के निर्देश दिए है|