वीयू में विश्व रेबीज दिवस पर श्र्वानो का किया टिकाकरण ।

जबलपुर, नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय (NDVSU) जबलपुर में विश्व रेबीज दिवस का आयोजन 28 सितम्बर2025 को पशु चिकित्सा परिसर में किया गया। इस अवसर पर माननीय कुलपति डॉ. मंदीप शर्मा ने सभी उपस्थितगणों को रेबीज उन्मूलन हेतु शपथ दिलाई।
शपथ में उपस्थित जनों ने 2030 तक भारत को रेबीज मुक्त बनाने के लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ कार्य करने, पालतू एवं आवारा पशुओं के नियमित टीकाकरण, पंजीकरण और जन्म नियंत्रण सुनिश्चित करने, समाज में जागरूकता फैलाने तथा पशु कल्याण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति निरंतर योगदान देने का संकल्प लिया।
आज विश्व रेबीज दिवस के अवसर पर 91 श्वानों को रेबीज वैक्सीनेशन दिया गया जो की रेबीज रोकथाम तथा पशु स्वास्थ्य सेवा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस अवसर पर पशु औषधि विभाग के छात्र डॉ. जतिन गुप्ता एवं डॉ. आकांक्षा सिंह द्वारा तैयार एक डॉक्यूमेंट्री वीडियो भी प्रदर्शित किया गया। इस वर्ष विश्व रेबीज दिवस की थीम “अभी कार्य करे, आप, मैं, समुदाय” रही, जो व्यक्तिगत, सामाजिक एवं सामूहिक जिम्मेदारी को रेखांकित करती है।
आयोजन के अंतर्गत 23 सितम्बर 2025 से रेबिस जागरूकता हेतु महाविद्यालय में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।
• प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में प्रथम – वंशिता, द्वितीय – आकांक्षा रानी, तृतीय – वंदना गुप्ता एवं आकांक्षा सिंह।
• चित्रकला प्रतियोगिता में प्रथम – नताशा कुरुवे, द्वितीय – मंजुला एवं मृणालिनी, तृतीय – संध्या आनंद एवं आकांक्षा रानी।
• वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम – वंशिता, द्वितीय – संध्या आनंद, तृतीय – आकांक्षा रानी।
• निबंध लेखन प्रतियोगिता में प्रथम – संध्या आनंद, द्वितीय – युक्ति सिंह एवं वंशिता, तृतीय – कनिका निर्मलकर।
विजेताओं को विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मंदीप शर्मा एवं अधिष्ठाता डॉ. राजेश कुमार शर्मा द्वारा प्रशस्तिपत्र एवं मेडल प्रदान कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में पशु औषधि विभाग के प्रमुख डॉ. देवेंद्र कुमार गुप्ता, डॉ. अमिता तिवारी, डॉ. ब्रजेश सिंह, डॉ. शिल्पा गजभिए, डॉ. शशि प्रधान, डॉ. रणबीर सिंह जाटव, डॉ. पुष्कर शर्मा, डॉ. अभिषेक बिसेन सहित संकाय सदस्यों एवं छात्र-छात्राओं का विशेष योगदान रहा।
विश्व रेबीज दिवस हमें यह स्मरण कराता है कि रेबीज से होने वाली मृत्यु पूर्णतः टाली जा सकती है और सामूहिक प्रयासों से 2030 तक भारत को “रेबीज मुक्त भारत” बनाने का लक्ष्य निश्चित ही प्राप्त किया जा सकता है।