स्टाम्प डयूटी विधेयक में हाईकोर्ट के सिद्धांतों का उल्लंघन, मंजूरी नहीं देने राज्यपाल को भेजा निवेदन पत्र
जबलपुर। स्टाम्प डयूटी बढ़ाने वाले विधेयक को विधानसभा में हड़बड़ी से पारित किया गया, वह एकतरफा तथा मनमानी पूर्ण है। इस विधेयक से म.प्र. हाईकोर्ट द्वारा प्रस्तुत सिद्भांतों का उल्लंघन हुआ है । अत: भारतीय स्टाम्प (संशोधन) विधेयक को मंजूरी न दी जाए और इसके नोटीफिकेशन पर रोक लगाई जाये|
यह निवेदन नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ.पी.जी. नाजपांडे तथा एड. वेदप्रकाश अधौलिया ने म.प्र. के राज्यपाल को भेजा है।
उन्होंने बताया की जब पूर्व में स्टाम्प डयूटी बढ़ाई गई थी तब डॉ.पी.जी. नाजपांडे ने म.प्र. हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर उसे चुनौती दी थी । इस याचिका में हाईकोर्ट ने स्पष्ट टिप्पणी की है कि स्टाम्प डयूटी बढ़ाने की कार्यवाही एकतरफा तथा मनमानी पूर्ण नहीं हो, इन सिद्भांतों को ध्यान में रखना होगा ।
किंतु आम नागरिकों के साथ जुड़ा हुआ यह भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश द्वितीय संशोधन ) 2025 के विधेयक को 27 जुलाई को विधानसभा में प्रस्तुत कर 8 अगस्त को मात्र एक सप्ताह में पारित किया गया । पारित करने के पूर्व में न तो नागरिकों से राय मांगी गयी, न ही अधिवक्ता संघो द्वारा प्रस्तुत आपत्तियों को विचारार्थ लिया गया ।
इस संशोधन में भारी प्रतिशत से बढ़ने वाली स्टाम्प डयूटी कौन से आधार पर आंकलित है, यह नहीं बताया गया है । लिहाजा यह मनमानी है ।