मध्यप्रदेश मे ट्रांसको की ईएचटी लाइनों पर लगे बर्ड गार्ड,

परिंदों की मौत पर लगी रोक, ट्रिपिंग मे कमी

जबलपुर। पारिस्थितिकीय संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (एमपी ट्रांसको) ने पूरे प्रदेश में अतिरिक्त उच्च दाब (ईएचटी) ट्रांसमिशन लाइनों पर पक्षी सुरक्षा उपकरण लगाना शुरू कर दिया है। ऊर्जा विभाग द्वारा समर्थित इस पहल का उद्देश्य पक्षियों की मृत्यु दर कम करना, बार-बार होने वाली ट्रिपिंग रोकना और ग्रिड की विश्वसनीयता बढ़ाना है।

जंगलों और प्रवासी मार्गों से गुजरने वाली लाइनें सबसे जोखिमपूर्ण

राज्यभर में कई ट्रांसमिशन लाइनें जंगलों, आर्द्रभूमियों और प्रवासी पक्षियों के मार्ग से गुजरती हैं। इन लाइनों से बड़े पक्षी अक्सर करंट लगने या टकराने से घायल हो जाते हैं। इनमें संकटग्रस्त भारतीय सारस और महान भारतीय तिलोर (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों की चिंता को देखते हुए एमपी ट्रांसको ने उन्नत तकनीकी समाधान अपनाए हैं।

लाइन पर लगाए गए बर्ड गार्ड और फ्लैपर्स


टावरों पर बर्ड गार्ड लगाए गए हैं, जो पक्षियों को लाइव कंडक्टर पर बैठने से रोकते हैं। इन्सुलेटर पर रिंग-टाइप प्रिवेंटर और कंडक्टरों पर परावर्तक फ्लैपर्स लगाए गए हैं, जो उड़ते समय पक्षियों को चेतावनी देते हैं। फ्लैपर्स पर रेडियम कोटिंग की गई है ताकि रात में भी यह साफ दिखाई दें।

1000 किमी लाइन पर सुरक्षा इंतजाम पूरे


अभी तक 1,000 किमी से ज्यादा जोखिमपूर्ण लाइनों पर सुरक्षा उपकरण लगाए जा चुके हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 1,53,384 बर्ड गार्ड, 4,983 प्रिवेंटर और 4,705 फ्लैपर्स स्थापित किए गए हैं। शुरुआती परिणाम बताते हैं कि पक्षी दुर्घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है और बिजली आपूर्ति में बाधाएं भी घटी हैं।

भविष्य में होगा ट्रैकिंग और जागरूकता अभियान


ट्रांसको प्रबंधन अब इन उपकरणों की प्रभावशीलता की मॉनिटरिंग के लिए ट्रैकिंग सिस्टम लगाने की तैयारी कर रहा है। स्थानीय समुदायों और रखरखाव स्टाफ के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे ताकि इस पहल का अधिकतम लाभ मिल सके।
*पर्यावरण संरक्षण और निर्बाध बिजली दोनों को फायदा*–
एमपी ट्रांसको के एम डी सुनील तिवारी ने कहा,
“यह पहल हमारे पर्यावरणीय दायित्व और परिचालन दक्षता के प्रति समर्पण को दर्शाती है। इससे निर्बाध बिजली आपूर्ति और हमारी समृद्ध जैव विविधता दोनों को लाभ मिलेगा।”

इस कदम के साथ मध्यप्रदेश अब उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो गया है, जो जैव विविधता की सुरक्षा और महत्वपूर्ण अवसंरचना के विकास को समान प्राथमिकता दे रहे हैं।